दोस्तों,आज हमारी प्रकृति और वातावरण लगातार पूरी तरीके से प्रदूषित होता जा रहा है। प्रदूषण की समस्या देश में लगातार बढ़ती जा रही है। जहां देखो प्रदूषण अपना पाव पसारता जा रहा है और लोगों के जीवन में अपना दुष्प्रभाव छोड़ता जा रहा है।
प्रदूषण अलग-अलग रूपों में प्रकृति रुपी संपदा को नष्ट कर रहा है। दिन पर दिन हमारा देश प्रदूषण के गिरफ्त में जा रहा है जिसके कारण हमारे देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
तो दोस्तों, आज हम आपके सामने "प्रदूषण की समस्या पर निबंध" पेश करने जा रहे हैं जो कि class 5,6,7,8,9,10,11,12 और competitive exams जैसे कि SSC,UPSC,UPSSSC के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होंगे।
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प्रदूषण की समस्या पर निबंध। |
हमारा " पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर निबंध" (pradushan ki samasya par nibandh) आर्टिकल आपके लिए एसे कंपटीशन में भी अत्यंत सहायक सिद्ध होगा इसकी मदद से आपको प्रदूषण पर पूरी जानकारी प्राप्त होगी।
प्रदूषण की समस्या पर निबंध (100-200 शब्दों में)
1) प्रदूषण का अर्थ Meaning of pollution:-
प्रदूषण का अर्थ है दोषों से युक्त, खराब,ऊर्जा का नष्ट होना। यदि किसी भी शब्द के साथ प्रदूषण लग जाता है तो इसका अर्थ होता है कि उस पदार्थ या वस्तु का शक्तिहीन होना एवं नष्ट होना। प्रदूषण शब्द नकारात्मक कहलाता है एवं सकारात्मक व शक्तिपूर्ण चीजों के विलोम को दर्शाता है।
2) प्रदूषण की समस्या (भूमिका) :-
प्रदूषण की समस्या आज अपने चरम पर पहुंच चुकी है। प्रदूषण की समस्या आज केवल प्रकृति को ही नहीं साथ ही साथ मनुष्य के दैनिक जीवन,उसके स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव छोड़ रही है जिसके कारण प्रतिदिन मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है।
प्रदूषण की समस्या हम नागरिकों के कार्यप्रणाली की ही देन है जो कि आज हमारे सामने एक अभिशाप के तौर पर आ चुकी है।
3) प्रदूषण की समस्या का निवारण:-
जिस प्रकार प्रदूषण की समस्या दिन पर दिन रुकने का नाम नहीं ले रही है इस तरह से हमारे लिए बहुत जरूरी है की हम इसका निवारण करें।
1- खूब पेड़ लगाएं। प्रतिदिन एक पेड़ लगाने का संकल्प करें।
2- पॉलीथिन का इस्तेमाल पर रोक लगाएं। सामान को लाने ले जाने के लिए प्राकृतिक एवं पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं को उपयोग में लाए।
3- रीसाइक्लिंग (Recycling) को प्रमोट करें। प्लास्टिक के समान आदि प्रदूषण में अहम किरदार निभाते हैं तो इसको रोकने के लिए हम प्लास्टिक के समान बोतल खिलौने आदि को रीसाइक्लिंग करके उपयोग में ला सकते हैं और अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं।
4) निष्कर्ष:-
प्रदूषण हमारे आपके किए गए कार्यों का ही परिणाम स्वरूप है तो इसके लिए किसी और को दोष देना व्यर्थ है। प्रदूषण को रोकने के लिए हमें और आपको मिलकर ही अपने कार्य प्रणाली में बदलाव लाना होगा और संकल्प लेना होगा कि हम इस प्रदूषण की समस्या से छुटकारा पाकर ही रहेंगे।
प्रदूषण की समस्या और निवारण पर निबंध (300-400 शब्दों में):-
प्रस्तावना Introduction-
प्रदूषण हमारे लिए कैसे अभिशाप के रूप में उभरता जा रहा है जिससे की सरलता से निदान पाना नामुमकिन सा प्रतीत होता है। प्रदूषण के कारण हमारे प्रकृति एवं इसके अमूल्य धरोहर को क्षति पहुंच रही है।
हम मानव अपने देश की भलाई को अनदेखा करते हुए बेझिझक अमानवीय कार्य करते हैं और अंत में प्रदूषण जैसी समस्या के घेरे में आ जाते हैं।
प्रदूषण से पीड़ित हम मनुष्य के अलावा जानवर भी हैं जानवरों के जीवन पर भी प्रदूषण का गहरा प्रभाव हम सभी को देखने को मिल रहा है परंतु फिर भी हम प्रदूषण की समस्या को गहराई से नहीं लेते ना जाने क्यों?
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प्रदूषण की समस्या और उसके समाधान पर निबंध |
प्रदूषण के प्रकार Types of pollution:-
विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रदूषण को कई भागों में बांट दिया गया है जो कि निम्नलिखित है-
- वायु प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण।
(i) वायु (हवा) में बढ़ते अपशिष्ट पदार्थ वायु प्रदूषण को जन्म देते हैं। वायु प्रदूषण अपने आप में ही सर्व शक्तिशाली और सभी को नष्ट कर देने वाला है। वायु प्रदूषण के कारण आज हम सभी को एवं जानवरों तक को सांस संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
वायु प्रदूषण पर निबंध (पूरी जानकारी हिंदी में)
(ii) मृदा अर्थात मिट्टी होता है। मिट्टियों का उपजाउपन में वृद्धि करने के लिए आज मनुष्य गलत तरीके से कीटनाशक का प्रयोग करते हैं जिसके कारण हमारी प्राकृतिक धरोहर मृदा बुरी तरीके से प्रभावित हो जाती है और मृदा प्रदूषण को जन्म देती है।
(iii) नदियों, तालाब में कूड़ा फेंकना, गंदगी फैलाना अपशिष्ट पदार्थों का फैसला जल प्रदूषण को जन्म देता है।
जल प्रदूषण पर निबंध। पूरी जानकारी
(iv) मॉडर्न गाड़ियों के हॉरन, घर में रखे लाउडस्पीकर,रास्ते पर चलते हुए अमानवीय तरीके से शोर शराबा करना ध्वनि प्रदूषण का निर्माण करता है। ध्वनि प्रदूषण हमारी सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक है।
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (पूरी जानकारी हिंदी में)
प्रदूषण के पीछे छुपे मुख्य कारण:-
प्रदूषण के पीछे छुपे मुख्य कारण है-1- व्यक्ति की अविकसित मानसिकता।
2- इंडस्ट्रीज के मल व कचडो में वृद्धि।
3- गैर बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं के प्रयोग में विधि।
4- लगातार पेड़ों की कटाई।
5- व्यक्तिगत लापरवाही।
6- कीटनाशक के प्रयोग में विस्तार।
प्रदूषण की समस्या का निवारण:-
प्रदूषण एक गंभीर समस्या का आज हर तरफ बोलबाला है। इसका निवारण हम सबको ही निकालना है-
1- हरित क्रांति पर जोर।
2- पेड़ लगाने का संकल्प करना व इसे हमारी जिम्मेदारी के तौर पर लेना।
3- घर एवं आसपास के जगह में साफ सफाई रखना।
4- सरकार द्वारा प्रदूषण के खिलाफ कठोर कदम उठाना।
उपसंहार:-
जीवन में सो जाए तो सदैव रहती हैं ठीक उसी प्रकार देश में भी समस्या है तो सदैव रहेंगे हम उन समस्याओं पर किस नजरिए से कार्य करते हैं यह मायने रखता है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (500-700 शब्दों में)
1)प्रस्तावना:-
हमारे प्रकृति में अपशिष्ट पदार्थों की अधिकता के कारण हमारा पर्यावरण प्रदूषण के मामले में बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण में प्रदूषित गैसे जैसे CO2,SO2,CH4,NO2 आदि लगातार पर्यावरण की हवा में मिलकर उसे प्रदूषित कर रही है।
हवा में प्रदूषण के कारण हर मानव के जीवन में बुरा प्रभाव डाल रहे हैं एवं उनके स्वास्थ्य के लिए समस्या बनता जा रहा है। अब हमारे लिए प्रदूषण के प्रकार को रोकना एक जिम्मेदारी के समान बन गया है इसे हमें किसी भी कीमत में रोकना होगा।
2-प्रदूषण के प्रमुख तत्व:-
Photochemical oxidant (फोटोकैमिकल स्मॉग, Ozone, Paroxytycil nitrate, Nitrogen oxide, Coordinate compounds from industries (एसिटिक एसिड, बेंजीन, ईथर), Radioactive Elements (रेडियम, थियम, यूरेनियम), कुछ अपशिष्ट (राख, कचरा,प्लास्टिक) प्रदूषण के पीछे के कारण है।3) दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित शहर:-
हमारे विश्व के कई स्थानों में प्रदूषण को रोकने में कामयाबी पा ली है वह प्रदूषण की गिरफ्त से निकलने में कामयाब हो चुके हैं परंतु इसके साथ-साथ अन्य क्षेत्र ऐसे भी हैं जो अभी भी प्रदूषण की चपेट में है। दुनिया भर के अधिकांश प्रदूषित जगहों में कानपुर, दिल्ली, काशी, पटना, पेशावर, कराची, हेज़, चेरनोबिल, बामेंडा, बीजिंग और मॉस्को शामिल हैं।
यह शहर भारी प्रदूषण के मामले में उच्च पायदान पर जाने जाते हैं। यहां की सरकारी व्यवस्थाओं की लापरवाही के कारण यहां पर लगातार प्रदूषण के मामलों में वृद्धि हो रही है।
शहरी स्थानों में वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण दृश्य प्रदूषण के मामले सर्वाधिक होते हैं तो इन के रोकथाम के लिए आवश्यक है कि सरकार द्वारा कड़े नियमों का निर्माण किया जाए और जनता द्वारा उन नियमों का सख्त तौर पर पालन किया जाए।
4) शहरों में प्रदूषण:-
शहरी परिवहन के बढ़ते उपयोग के कारण शहरों में गांवों की तुलना में प्रदूषण बहुत ही ज्यादा है। शहर में औद्योगिकरण के बढ़ते प्रसार के कारण भी शहर प्रदूषण के रोकथाम में असफल हो चुका है। प्रदूषण की समस्या आज आमजन की समस्या बन चुकी है।
कारखानों एवं उद्योगों से निकलने वाला धुआं शहर की स्वच्छ एवं स्वच्छ हवा को लगातार प्रभावित कर रहा है और मनुष्य के जीवन के लिए काल बनता जा रहा है।
विकसित सीवेज प्रणाली के कारण लगातार कचरो एवं अपशिष्ट पदार्थों का निस्तारण नदियों में किया जाता है जो कि एक बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है।
बढ़ते वाहनों के उपयोग, निकलने वाली जहरीली गैस आज के मनुष्य एवं जानवरों के जीवन के लिए जहर बनती जा रही हैं। लोग अपने स्वार्थ के लिए लगातार इन कारणों को अनदेखा कर रहे हैं जो कि बिल्कुल भी सही बात नहीं है।
5) गांवों में प्रदूषण:-
हालांकि गांव में प्रदूषण शहरों के प्रदूषण की अपेक्षा में कम व संतुलित है परंतु समय की मांग के अनुसार जैसे जैसे गांवों में शहरीकरण पर कार्य चल रहा है और लगातार विकसित हो रहा है वैसे-वैसे गांव की पर्यावरण में सम्मिलित हवा प्रदूषित हो रही है।लगातार बढ़ते उर्वरक व कीटनाशक का प्रयोग मृदा प्रदूषण को जन्म दे रहा है और उसके उपजाऊपन को अत्यंत हानि पहुंचा रहा है।
उचित पेय व्यवस्थाओं की वजह से गांव में हमें जल प्रदूषण के मामलों में वृद्धि दिखाई पड़ती है। यह समस्या उचित व्यवस्था के मुहैया कराने पर ही सही हो सकेगी।
6)-प्रदूषण के कारण:-
जैसा कि हम और हमारी प्रकृति एक दूसरे के पूरक है हम जिस प्रकार का input हमारी प्रकृति को देते हैं, हमारी प्रकृति बदले में हमें उसी तरह का output देती है।
1- मानव का स्वार्थ:-
आज का मानव स्वार्थी हो चला है उसे अपने स्वार्थ के आगे कुछ भी दिखाई नहीं देता फिर चाहे वह प्रकृति हो या स्वदेश। जहां मानव का कार्य सिद्ध हो वह वही रिश्ते बनाता है और निभाने में विश्वास रखता है।
इस संदर्भ में मानव ऐसे कुटिल कार्य कर देता है जिसका परिणाम अत्यंत भयावह है। प्रदूषण आणि परिणामों में से एक है।
2- लगातार वन संपदा का हनन:-
देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए लगातार वन संपदा को हानि पहुंचाई जा रही है।
आप जहां कहीं भी नजर उठा कर देखें आपको बड़ी बड़ी बिल्डिंग,इंडस्ट्रीज बनी दिखाई देंगे।
जहां कुछ समय पहले हरे भरे पेड़ पौधे, वन संपदा हुआ करते थे आज वहां केवल बिल्डिंग और इंसान ही नजर आते हैं।
कितनी अजीब बात है कि हमें ऑक्सीजन देने वाले पेड़ का ही सर्वस्व नहीं हो तो भला हमारे जीवन का अस्तित्व क्या रह जाएगा?
3- इंडस्ट्रीज का मल,अपशिष्ट पदार्थ:-
देश में आज बढ़ते औद्योगिकरण भी प्रदूषण के बढ़ते प्रसार के पीछे जिम्मेदार है।
इंडस्ट्रीज से निकला हुआ मल, कचरा एवं अपशिष्ट पदार्थ आदि का सही से निस्तारण ना होने के कारण नदियां तालाब लगातार गंदे हो रहे हैं और जल प्रदूषण के प्रसार को बढ़ा रहे हैं।
4- उर्वरक व कीटनाशक का असीमित उपयोग:-
गावों में उर्वरक व कीटनाशक का असीमित उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है और मृदा प्रदूषण को जन्म दे रहा है। बढ़ते कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी के उपजाऊपन की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है जिसके कारण हमारे अनाज की उपज बबन संपदा में लगातार गिरावट दिखाई दे रही है जो कि एक भयंकर भविष्य की ओर इशारा करती है।
5-औद्योगिकरण व परिवहन की बढ़ती मांग:-
आज हमारा देश एकदम तेजी से डिजिटल की ओर बढ़ रहा हैं। और मोदीजी ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत कर दी है। 21वी सदी में औद्योगिकरण और परिवहन की बढ़ती मांग प्रदूषण का एक अलग ही संसार बसाने पर तुली है।
बढ़ते औद्योगीकरण के कारण जल प्रदूषण लगातार विस्तृत रूप में उभर रहा है। उद्योगों से निकलते कचरे कूड़ा वशिष्ठ पदार्थ सीधे नदियों में फेंक दिए जाते हैं और नदियों की उचित सफाई भी नहीं की जाती है।
परिवहन क्षेत्र के विस्तार से वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
प्रदूषण के रोकथाम/ प्रदूषण को रोकने के उपाय:-
जिस तरह प्रदूषण का प्रसार लगातार बढ़ रहा है हमारे लिए बहुत ही जरूरी हो गया है कि हम इसके रोकथाम के लिए उपयोग निकाले और उसे प्रयोग में लाए तभी हमारा देश इस समस्या से बच सकता है-
प्रदूषण के रोकथाम के लिए कुछ प्रमुख उपाय -
1) नाली,कुओं,नदियों में गंदगी ना फेके। विसर्जन, आरती वगैरा नदियों में ना करें इसे सही स्थान पर निस्तारण करें। पानी की एक बूंद भी बर्बाद ना करे।
जल संबंधी पाइप लाइन व कनेक्शन के साथ छेड़छाड़ बिल्कुल भी ना करें।
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प्रदूषण की समस्या पर निबंध |
2) प्लास्टिक की जगह कागज को उपयोग में लाएं। रसायनिक खाद की जगह जैविक खाद का इस्तेमाल दैनिक जीवन में करें। पॉलिएस्टर की जगह jute व सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें। जल की महत्वता को समझें। जल का संरक्षण कर के हम जल प्रदूषण को रोक सकते हैं।
3) वृक्षों की कटाई को रोके ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाएं। हरित क्रांति का प्रचार करें। प्रतिदिन एक वृक्ष लगाने का संकल्प लें। वृक्ष हमारे जीवन का आधार है, तो इसे काटने की बेवकूफी बिल्कुल भी ना करें। वृक्षों से हमें शुद्ध हवा प्राप्त होती है जोकि वायु प्रदूषण को रोकने में समर्थ है।
4) घर में टीवी,स्पीकर की आवाज को कम करके सुने। ईयरफोन/ हेडफोन का इस्तेमाल कम से कम करें। पटाखों को ना कहें। पटाखे अकेले वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के पीछे का कारण है तो इसे बिल्कुल भी प्रयोग में ना लाएं।
5) मृदा में उर्वरक व कीटनाशक का उपयोग कम से कम करें। ज्यादा खेती के लिए ज्यादा कीटनाशक का प्रयोग करना सही नहीं है इसलिए अपनी गलत अवधारणा को बदलें।
6) वाहनों के अत्यधिक इस्तेमाल पर रोक लगाएं यदि ज्यादा जरूरी ना हो तो साइकिल का प्रयोग करें या तो पैदल चलना prefer करें इससे आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी एवं हमारे पर्यावरण रूपी संपदा भी सशक्त व स्वच्छ होगी।
7) सरकार द्वारा प्रदूषण रोकने को लेकर सख्त नियम बनाए जाएं एवं सभी नागरिकों द्वारा कठोरता से उनका पालन किया जाए तभी प्रदूषण को हम और आप मिलकर अपने देश विश्व से दूर भगा सकते हैं अन्यथा यह प्रदूषण हमारी रग-रग में पुष्कर हमें आर्थिक व शारीरिक रूप से समाप्त कर देगा।
प्रदूषण के पर्यावरण पर प्रभाव:-
प्रदूषण के पर्यावरण पर प्रभाव बहुत ही भयावह है। पर्यावरण के शुद्ध हवा अब अशुद्ध हवा में परिवर्तित होती जा रही है। जहां भी देखो अशुद्ध हवा का ही संचालन हो रहा है। मनुष्य के लिए आज समाज में सांस लेना भी दूभर हो गया है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में
ग्लोबल वार्मिंग भी आज के समय में चिंता का विषय बन चुका है। कुछ दिनों पहले ही प्रदूषण के कारण एक बच्ची की मौत की खबर सामने आई है इसे सुनकर ही आप सोच सकते हैं कि यह प्रदूषण किस हद तक हमारे लिए हानिकारक हो सकता है।
मनुष्य की असीमित लापरवाही आज उसी को इस स्थिति पर पहुंचा दी है कि वह अपनी जान बचाने के लिए इधर से उधर भाग रहा है परंतु उससे बचने का कोई साधन प्राप्त नहीं हो रहा है।
हमारे लिए अति आवश्यक है की सरकार द्वारा प्रदूषण मुक्त भारत बनाने के लिए जो नियम व कानून बनाया जाए उनका हम सख्ती से पालन करें और अपने दैनिक जीवन में भी प्रयास करें की इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स व वर्क को encourage करें।
पृथ्वी बचाओ पर निबंध हिंदी में
इस प्रकार हम अपने शरीर की सफाई करते हैं उसी प्रकार हमें अपने आसपास की सफाई भी रखनी चाहिए क्योंकि स्वच्छता में ही देवता निवास करते हैं। हमारे लिए आवश्यक है कि हम जिस प्रकार अपने शरीर का ध्यान रखते हैं उसी प्रकार अपनी पृथ्वी रूपी संपदा का भी ध्यान रखें।
निष्कर्ष:-
जिस प्रकार प्रकृति के संतुलन के लिए हमें प्रकृति के अनुरूप ही चलना होता है ठीक उसी प्रकार इस प्रकृति की रक्षा भी हमारे हाथ में ही है यदि हम इसकी रक्षा नहीं करेंगे तो आने वाले समय में यह हमें हमारे कर्मों का फल अवश्य देगी।
इस बात का पता आप भूकंप ,बाढ़ ,सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदा से लगा हीं सकते हैं कि किस तरह से यह प्राकृतिक आपदाएं हमारे जीवन को क्षण भर में खत्म कर सकती है अतः हमारे लिए जरूरी है कि हम प्रकृति के साथ संतुलन बना कर अपने जीवन को सफल बनाएं।
तो दोस्तों हम आशा करते हैं की हमारे इस आर्टिकल "प्रदूषण की समस्या पर निबंध" ( Essay on pollution in hindi) उपयोगी लगा होगा और आपको प्रदूषण की समस्या से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो चुकी होंगी।
आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट में अवश्य बताएं एवं "प्रदूषण की समस्या पर निबंध" आर्टिकल को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों एवं सगे संबंधियों में भी अवश्य शेयर करें ताकि यह उपयोगी जानकारी उन तक भी पहुंच पाये।
सधन्यवाद।
क्या आपने इसे पढ़ा:-