निजीकरण पर निबंध | essay on privatization in hindi (Updated)

यदि आपको निजीकरण पर निबंध लिखना है तो ये जानकारी आपको हमारे essay on privatization in hindi लेख में मिल जाएगी। जिसकी सहायता सेे आप लिख सकतेे हैंं।

प्रस्तावना सहित निजीकरण पर निबंध

हेल्लो दोस्तो निजीकरण यानी कि प्राइवेटाइजेशन। आज कल के बढ़ते दौर में कई सारे सरकारी सेक्टर निजीकरण हो रहे हैं। आज से कुछ दशक पहले सब कुछ राजकीय था यानी कि सारी देख रख सब सरकार के हाथो में थी। जब से हमारा देश आजाद हुआ 1947 में तब से सब कुछ राजकीय था यानी की सरकार के अन्तर्गत था।

परंतु सरकार को कई सारे क्षेत्र में घाटा होने लगा अब से कई क्षेत्रों में निजीकरण के लिए बदलाव किए जाने लगे। आज के निजीकरण पर निबंध आर्टिकल में हम पूरी जानकारी आपके साथ साझा करेंगे। ?

Bank privatization essay in hindi

निजीकरण क्या हैं? | What is Privatization (प्रस्तावना)

निजीकरण का सीधा सा मतलब यही है कि किसी सरकारी क्षेत्र की कमान किसी निजी व्यक्ति या किसी निजी मालिक के हाथो में देना निजीकरण कहलाता है, और ये प्रक्रिया सरकार कि मर्ज़ी से होती है।

भारत में प्राइवेटाइजेशन यानी कि निजीकरण आजादी के बाद से ही शुरू हो गया था। लेकिन बाहर के विकसित देशो ने फ्रांस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, इन्होंने इसमें पहले से ही हाथ जमा लिए है और वे सफल भी हुए हैं।

रेलवे निजीकरण पर निबंध इन हिंदी

नई आर्थिक नीति के तहत 1992 में अर्थव्यवस्था में कई सारे बदलाव किए गए थे। भारतीय अर्थव्यवस्था को देश विदेश के निजी क्षेत्र के बिजनेसमैन लोगों के लिए खोल दिया गया था। क्या अर्थव्यवस्था के लिए निजी करण जरूरी है? आइए जानते हैं।

निजीकरण पर निबंध इन हिंदी
निजीकरण पर निबंध इन हिंदी

निजीकरण की विशेषता क्या है:-

1– मलिको का बदलना:-

निजीकरण के तहत व्यापार कि इकाइयों पर सरकार का मिलिकापन घट जाता है। और किसी  निजी मालिको या बड़े उद्योगपतियों के हाथ में चला जाता हैं। कुछ उपक्रमों को सरकार पूरी तरह से निजी क्षेत्र में बदलती है। कुछ उपक्रमों को धीरे धीरे सरकार अपनी उपस्थिति खत्म करती हैं। इस तरह से सरकारी संपत्ति पर निजी उद्योगों पर किसी मालिक को मलिकाना मिलता हैं।

2– सरकारी नियंत्रण खत्म:-

सरकार के हाथो में जो नियंत्रण होता है वो सीधा निकाल कर निजी क्षेत्र के मालिको के हाथ में चला जाता है।

3- आर्थिक स्वतंत्रता:-

अर्थव्यवस्था की कई सारी क्षेत्रों में सरकार का अधिपत्य होता है। लेकिन निजीकरण के माध्यम से अर्थव्यवस्था पर सरकार का आधिपत्य धीरे-धीरे कम होता जाता है और अर्थव्यवस्था बाजार के नियम के अनुसार संचालित होने लगती है। जिसके चलते आर्थिक स्वतंत्रता का बेहतर माहौल तैयार होता है।

निजीकरण के उद्देश्य :-

निजीकरण के उद्देश्य कुछ इस प्रकार है आइए एक नजर डालते हैं –

1- पढ़े लिखे और उदमशील युवाओं को एक अवसर प्रदान कर के उनके रोजगार में वृद्धि करना।

2- कार्यों में अधिक कुशलता और उत्पादकता जोकि प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।

3- निर्यात प्रोत्साहन के माध्यम से विदेशी मुद्रा की आय में वृद्धि करना।

4- विदेशी अर्थव्यवस्था के साथ एक जुट होकर चलना।

5- औद्योगिक शांति की रक्षा के लिए निजीकरण जरूरी है।

शिक्षा के निजीकरण पर निबंध इन हिंदी

6- सरकार की अर्थव्यवस्था को  ठीक ढंग से चलने के लिए निजीकरण आवश्यक है।

7- विदेशी पूंजी को अपने भारत में आमंत्रित करने के लिए।

8- तेजी से औद्योगिकरण के लिए पर्यावरण तैयार करना।

इन सभी उद्देश्यों से बढ़कर निजीकरण का उद्देश्य ये भी है की सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यक्षमता में नए नए सुधार किए जाए और  जब सार्वजनिक क्षेत्र को निजी क्षेत्र से प्रतियोगिता करनी होती है तो उसको अपने कार्यक्षमता में सुधार करने के लिए विवश होना पड़ता है। साथ ही साथ सार्वजनिक क्षेत्र का अधिकार समाप्त हो जाता है, और नए निजी मालिको के आने से ग्राहकों को लाभ होता है।

निजीकरण का लाभ:-

1- बढ़ती प्रतियोगिता:-

उद्योगों में विदेशी फर्मो के आने से भारतीय कंपनी के लिए प्रतियोगिता कठिन हो गई है खासकर दूरसंचार, एयरलाइंस, बीमा, बुकिंग इन सब में जोकि पहले सब सार्वजनिक थी।

2- ग्राहकों की बढ़ती मांग:-

आजकल ग्राहक अधिक ही मांग कर रहे हैं क्योंकि वे जानते है कि मार्केट में प्रतियोगिता चल रही है। जिसके चलते सभी ग्राहकों को सुलभ सेवाएं प्रदान करें जाएगी।

3- बेहतर दक्षता:-

लाभ को दिमाग में रखकर निजी कंपनियां कम खर्च में किस प्रकार ज्यादा लाभ कमाएंगी। इसके ऊपर अपनी क्षमता को बढ़ाएंगी और उसमे सुधार करेंगी।

4- राजनैतिक हस्तक्षेप का अभाव:-

निजीकरण सरकार के राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करता है निजीकरण सरकारी के राजनैतिक हस्ताक्षेप को कम करने में सहायता करता है। और ग्राहकों को उचित और बेहतर सेवा मिले इसमें शक्ति प्रदान करता है।

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5- परिवर्तन के लिए आवश्यकता:-

बाजार की ताकतें अशांत हो गई है और स्थिर नहीं है जिसके चलते उद्यमों को निरंतर  संशोधित करना पड़ता है।

निजीकरण की हानि :-

1- लाभ कमाना:-

निजी मालिकों का एकमात्र उद्देश्य लाभ कमाना ही रह गया है और चाहे कुछ भी हो जाए वो इसे प्राप्त करने की भरपूर कोशिश करते हैं। ये सभी चीज़े ग्राहकों की भावनाओ के साथ खेलते हैं और अनुचित तरीको को अपनाते हैं।

2- भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी:-

निजी मालिक अपने कार्य को सम्पन्न करने के लिए तरह तरह के मार्ग अपनाते हैं। जैसे – रिश्वत, धोखाधड़ी, और अन्य तरीकों को अपनाते है जो कि भ्रष्टाचार को आमंत्रित करती है।

बैंक निजीकरण पर निबंध इन हिंदी

3- स्पष्टता का अभाव:-

निजीकरण ने विभिन्न क्षेत्रों के साथ कई सारे विकल्प चुनें है। समान वस्तुओं और सेवाओं को निजी क्षेत्रों के मालिको द्वारा विभिन्न दरो पर पेश किया है। जिससे हम जैसे ग्राहकों को असंतोष की अनुभूति हुई है और ये निजी क्षेत्रों के मालिक इसका स्पष्ट रूप से जवाब भी नहीं दे पाते हैं।

4- पारदर्शिता की कमी:-

एक डेमोक्रेटिक सरकार में हम जनता का ये हक होता है की हम सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की गई सेवाओं पर सवाल कर सकते हैं। दूसरी तरफ सरकार भी स्पष्ट तस्वीर दिखाने के लिए बाध्य है, लेकिन निजीकरण के बाद निजी मालिक ऐसे किसी कानून से बंधे नहीं है, और इसी प्रकार पारदर्शिता का अभाव है।

निजीकरण के लाभ और हानि
निजीकरण के लाभ और हानि

निष्कर्ष / उपसंहार:-

आज हमने डिटेल में जाना निजीकरण पर निबंध इन हिंदी में की निजीकरण क्या है और और इसके क्या लाभ और हानि है। निजीकरण को हम पूर्ण रूप से लाभदायक नहीं कह सकते और ना ही हानिकारक के सकते हैं। इसके अपनें लाभ और हानि दोनों ही है। इसलिए बढ़ते इस दौर में हमें निजीकरण को सार्थक समझना पड़ेगा और विकसित देश विदेश में ये सार्थक साबित हुआ है।

आपको हमारा यह निजीकरण पर निबंध इन हिंदी essay on privatization in hindi कैसा लगा नीचे कॉमेंट कर के अवश्य बताएगा।

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