शिक्षा के निजीकरण पर निबंध | Education privatization essay in hindi (Updated)

शिक्षा के बढ़ते प्रचलन में क्या आप शिक्षा के निजीकरण पर निबंध खोज रहे हैं? यदि हां तो हमारे Education Privatization hindi essay में पूरी जानकारी उपलब्ध हैै।

प्रस्तावना सहित शिक्षा के निजीकरण पर निबंध

प्रस्तावना / भूमिका:-

किसी भी बच्चे, या व्यक्ति, या औरत उसके विकास का एकमात्र कारण शिक्षा ही होता है। अतः शिक्षा के कल्याण के लिए सभी को अपना प्रयास निरंतर बनाए रखना चाहिए। कोई भी राष्ट्र या देश अपने नागरिकों को शिक्षा के अधिकार से दूर रखता है तो वह कल्याणकारी राज्य या देश की सूची में कभी भी नहीं आ सकता है। आज हम शिक्षा का निजीकरण (shiksha ka nijikaran) से जुड़ी हर पहलुओं पर बात करेंगे। हर किसी को शिक्षा में प्रगति पाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और हमारी सरकार को इस पर हर संभव प्रयास करना चाहिए।

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शिक्षा के निजीकरण पर निबंध
शिक्षा के निजीकरण पर निबंध

शिक्षा के निजीकरण के कारण:-

भारत जैसे बड़े और अखंड देश में शिक्षा की व्यवस्था का सही तरीके से कर पाना हमेशा से ही सरकार के लिए बड़ी चुनौती रही है। और भारत की 1 अरब की जनसंख्या को पूर्णतः शिक्षित करना लगभग असंभव सा है।

इतने ज्यादा लोगो को शिक्षित करने के लिए सरकार के पास ना तो इतना आर्थिक साधन है और ना ही पर्याप्त प्रबंधकीय सुविधाएं उपलब्ध है।

भारत जैसे बड़े देश में शिक्षा का स्वामित्व और उत्तरदायित्व केंद्र सरकार के पास ना होकर राज्य सरकार के पास है। और राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति पहले से ही ठीक नहीं है। अतः जनसंख्या वृद्धि के इस बढ़ते अनुपात में राज्य सरकार के पास नए स्कूल व कॉलेज खोलने के लिए आर्थिक संसाधन भी उपलब्ध नहीं है।

यही एकमात्र प्रमुख कारण है जिसकी वजह से शिक्षा का निजीकरण हो रहा है और दिन प्रतिदिन नए स्कूल खुल रहे हैं। और हमारी सरकार को भी इसमें आपत्ति नहीं है। काफी समय पहले से ही ये प्राइवेट स्कूल और कॉलेज बच्चो को और लोगो को शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं। भले ही इसके चलते अभिभावक से फीस के नाम पर ज्यादा पैसा ले रहे हों। तो प्राइवेट स्कूलों का खुलना ही शिक्षा का निजीकरण कहलाता है।

सरकारी स्कूलों की बिगड़ती हालत:-

सरकारी स्कूल की हालत इतनी ज्यादा बिगड़ गई है कि वहां पर पढ़ाई के नाम पर बस बच्चे स्कूल खाना खाने जाते हैं। और शिक्षा के तीन स्तर है प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा आज तीनों स्तर पर ही शिक्षा का निजीकरण हो रहा है। प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर जितने भी नए विद्यालय खोले जा रहे हैं वह 90% निजी मालिकों के द्वारा खोले जा रहे हैं।

सच तो यह है कि नगरों में गांव में सरकारी स्कूल के छात्र दिन प्रतिदिन घटते जा रहे हैं। और सभी छात्र निजी स्कूलों की ओर बढ़ रहे हैं। और इस तरह से शिक्षा का निजीकरण (shiksha ka nijikaran) हो रहा है। वहां पर उन्हें अच्छी शिक्षा प्रदान कराई जा रही है। सरकारी स्कूल की दशा कुछ ऐसी है की स्कूल तो बने हुए हैं। परंतु बच्चों के ना होने के कारण स्कूल बंद पड़े हैं।

बच्चों के माता-पिता भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की बजाय प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। क्योंकि सरकारी स्कूल में पढ़ाई का स्तर इतना खराब है कि बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पाती है।

निजी क्षेत्र में शिक्षकों का शोषण:-

आजकल गली मोहल्ले तक में प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं। इन सभी स्कूलो में पढ़ाने वाले शिक्षकों को रोजगार तो मिल रहा है परंतु निजी क्षेत्र के प्रबंधकों द्वारा आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है। M.a. पास और b.ed की उपाधि वाले अध्यापकों को 3 से 4 हज़ार रुपए में रख लिया जाता है और वो हँसी खुशी काम करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं।

इन स्कूल में सरकार द्वारा निर्धारित वेतन नहीं दिया जाता है। और बिना किसी सिक्योरिटी के अध्यापक बिना किसी शर्तों के काम करने के लिए हामी भर देते हैं तो उनसे अधिक से अधिक काम लिया जाता है। और हर स्तर पर उनका शोषण किया जाता है।

निजी क्षेत्र के स्कूलों और कालेजों के बढ़ते भाव:-

पब्लिक तथा कॉन्वेंट स्कूलों का धंधा बड़े जोरों शोरों से चल रहा है और बच्चों को लेके जाने के लिए बस सुविधा और पहुंचने की भी उचित सुविधा है। बच्चो की पढ़ाई से लेकर खेल कूद के लिए मैदान भी उपलब्ध है।

स्कूल की अपनी यूनिफॉर्म है। भारी भरकम पाठ्यक्रम भी मौजूद है। ऐसे में बच्चों के माता पिता को भी लग रहा है की बच्चे अच्छे से पढ़ रहे हैं। और उन्हें उचित शिक्षा प्रदान की जा रही है।

मगर दूसरी तरफ दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगरों में अपने बच्चो का स्कूल में एडमिशन कराना टेढ़ी खीर बन गया है। मंत्रियों तक की सिफारिश को भी नजरंदाज कर दिया जाता है।

माता पिता का शैक्षिक स्तर, समाजिक स्तर, और आर्थिक स्तर सब कुछ उच्च वर्ग का होना चाहिए तभी बच्चो का एडमिशन हो पाएगा। और एडमिशन के लिए डोनेशन के रूप में मोटी राशि चुकाने की क्षमता भी होनी चाहिए।

तभी ऐसे बड़े स्कूलों में प्रवेश मिल सकता है। सच बात तो ये है की इन स्कूलों में एडमिशन दिला पाना बहुत ही कठिन हो गया है। और इधर अलग ही भ्रष्टाचार चल रहा है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण:-

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी शिक्षा संस्थानों का बोलबाला दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है, खास कर के व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से शिक्षण संस्थाओं की बाढ़ सी आ गई है। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, होटल मैनेजमेंट, टूरिज्म,  माइक्रोबायोलॉजी तथा अन्य क्षेत्रों के स्कूल खुल रहे हैं।

इन संस्थानों में फीस के नाम पर हजारों लाखों रुपए बच्चों के पेरेंट्स से लिया जा रहा हैं। ना तो इन्हे उच्च कोटि के प्रतिष्ठित शिक्षकों द्वारा शिक्षा मिल पा रही है और ना ही सरकार के द्वारा निर्धारित मानदंडों को ये संस्थाएं पूरा कर पा रही है।

उच्च स्तर पर इन्हे कॉलेज खोलने की मान्यता लेनी पड़ती है। और डिग्री के लिए किसी विश्वविद्यालयों से संबद्धता होनी आवश्यक हो। किन्तु इन संस्थानों के पास ऊंची पहुंच और जेब में मोटी रकम है जिसके  द्वारा से ये बड़ी ही आसानी से व्यवस्था कर लेते हैं।

सच तो यह है कि शिक्षा का निजीकरण होने के बाद से भारत में एक नया व्यवसाय उभर कर सामने आया है वह है शिक्षा का व्यवसाय।

उच्च शिक्षा में निजीकरण के उद्देश्य:-

अब हम बात करते हैं कि जो लगातार शिक्षा का निजीकरण की बातें चल रही हैं तो आखिरकार शिक्षा के निजीकरण के उद्देश्य क्या हैं? तो आइए जानते हैं।

  • बच्चों को उच्च स्तर पर शिक्षा प्रदान करवाना।
  • शिक्षा का मोल अपने भारत में ऊपर उठाना।
  • अध्यापकों को रोजगार प्रदान करवाना।
  • हर गली मोहल्ले में स्कूल और कॉलेज का ओपन होना।
  • सरकार पर से इसका भार कम करवाना।

उच्च शिक्षा में निजीकरण का लाभ:-

जब बात आती है उच्च शिक्षा में निजीकरण की अथवा शिक्षा का निजीकरण की तो उसमें कई लोगों का लगभग एक ही सवाल होता है कि शिक्षा या उच्च शिक्षा में निजीकरण का लाभ क्या है? तो आइए जानते हैं।

  • शिक्षा का निजीकरण होने के बाद सबसे पहला लाभ यह हुआ है कि छात्रों में शिक्षा के प्रति लगन बढ़ गई है। जहां सरकारी स्कूल में बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती थी अब निजी स्कूलों में मिलने लगी है।
  • एक अरब की आबादी हमारे भारत की होने के बावजूद शिक्षा का स्तर धीमे-धीमे ऊपर उठ रहा है एजुकेशन सिस्टम में भी आगे चलकर सुधार किए जाएंगे।
  • एक लाभ यह भी है कि, शिक्षकों को रोजगार दिया गया है।

निष्कर्ष / उपसंहार:-

आज के शिक्षा के निजीकरण पर निबंध के टॉपिक में हमने जाना कि किस प्रकार हमारे देश में शिक्षा का दर्पण धुंधला होता चला जा रहा है। और कैसे शिक्षा का निजीकरण होने के बाद ये धीमे धीमे साफ हो रहा है। मगर ये पूरी तरह से उचित है ऐसा भी नहीं कहा जाएगा। क्योंकि आपने देखा ही किस प्रकार बड़े बड़े निजी यूनिवर्सिटी में लाखों रुपए लिए जा रहे हैं। और मोटी रकम देकर डोनेशन देकर एडमिशन हो रहा हैं।

तो आपको हमारा ये शिक्षा के निजीकरण पर निबंध Education Privatization hindi essay कैसा लगा और आप इस शिक्षा का निजीकरण के बारे में क्या सोचते हैं? नीचे कमेंट कर के जरूर बताइएगा और अगर आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो प्लीज इसे शेयर अवश्य करें।

शिक्षा के निजीकरण पर निबंध से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न:-

प्रश्न:- शिक्षा का निजीकरण क्या छात्र हित में है?

उत्तर:- शिक्षा नीति के रूप में जो अवसर मिला है उसका देश हित में लाभ लेने के लिए कुछ मूलभूत व्यवस्थाएं करनी होंगी। इस दृष्टि से सर्वप्रथम शिक्षा के निजीकरण की नीति पर ध्यान देना होगा। आज निजीकरण बेलगाम विस्तार पाता जा रहा है। निजी क्षेत्र की शिक्षा संस्थाएं पूर्व प्राइमरी से लेकर उच्च स्तर तक निरंकुश भाव से फैलती जा रही हैं। तो छात्रों को शिक्षा का निजीकरण के फायदे भी हैं और शिक्षा का निजीकरण के नुकसान भी हैं।

प्रश्न:- उच्च शिक्षा के निजीकरण से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:- राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा संस्थानों क बेहतर रूप से संचालित करने के लिए चन्दा इकट्‌ठा करना तथा इमारतों के रख-रखाव एवं रोजमर्रा के काम में आनेवाली वस्तुओं की पूर्ति में स्थानीय लोगों की सहायता की बात कही गई है। लेकिन अब आप देख ही रहे हैं कि उच्च शिक्षा का निजीकरण के नाम पर क्या हो रहा है।

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